Friday, February 5, 2010

मैंने लाखो के बोल सहे --सितमगर तेरे लिए

निर्मला देवी की खनकती आवाज में जो जादू है उसे तो सुनकर ही जाना जा सकता है |
कल आपके सामने अंतिम पेशकश करूँगा |कल ही सुनलेना |


1 comment:

शरद कोकास said...

मज़ा आ गया यह सुनकर । धन्यवाद ।

 
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