कुछ दिनों पहले एक मित्र के लड़के की शादी में विदिशा और साँची जाने का मौका मिला |उसके बाद वंही से झाँसी भी अपनी भांजी की शादी में गया | "नया मुल्ला ज्यादा नमाज पढ़ता है " की तर्ज पर मैंने भी अपना केमेरा खूब भांजा | ईमानदारी से कंहू तो ज्यादा तर तस्वीरे नाकाबिले बयां हैं पर दो छोटी छोटी फिल्मे दिल को जंच गई |
ऐसे आईटम अचानक ही मिलते है सो मैंने भी मौका मिला तो मन ही मन कहा ---मत चूको चौहान
पहली फिल्लम साँची से है
दूसरी फिल्लम झाँसी की है
कहिये कैसी रही ?
Friday, February 19, 2010
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