Sunday, January 24, 2010

एक नया राष्ट्रीय खेल ; नयी सम्भावनाये

मेरी धर्मपत्नी को क्रिकेट का क और टेनिस का ट समझ मे नही आता।पर आपको यह जानकर आनन्द होगा कि पिछले तीन माह मे उसने वीनस विलियम के बल्ले से सचिन तेन्दुलकर के सारे रिकोर्ड तोड डालें हैं।

इस नये खेल का नाम है "क्रिटेन"।

मेरी पत्नी का बल्ला यह है------------





और उसकी गेन्द यह है --------------


इस खेल मे हमारे देश और देशवासियों के लिये अपार सम्भावनायें हैं।

Tuesday, January 12, 2010

Hardanhalli

"Swear words in some foreign language are easier to utter and are even tolerated by society."



 H.D.Devegauda forgot this simple fact .

ऊंचे पायदान पर विराजने का दुःख



जब मै छोटा था तब इब्ने सफी और प्रेम प्रकाश को बड़े चाव से पढ़ता था | कर्नल विनोद ,केप्टन हामिद ,विजय इत्यादि मेरे चहेते हीरो थे |उनकी जासूसी दुनिया और उनके कारनामे बड़े ही अच्छे और रोचक लगते थे |पर दिमाग के एक कोने में कभी कभी ये ख्याल भी झांकता रहता था की ये महापुरुष दिन रात ख़ूनी का या देश के दुश्मनों का पीछा करते रहते है ,कई बार तो बड़ी अड़ी तड़ी वाली स्थिति भी होती है और अगर ऐसे में इन्हें नित्यकर्मो से निपटने की आवश्यकता आन पड़े तो ये कैसा करते होंगे ?  किताबें पढने का मेरा शौक बदस्तूर जरी रहा ,उपन्यास ,कहानियां ,महापुरुषों की जीवनिया ,जितनी मिली सभी तो पढ़ डाली पर मेरी जिज्ञासा का समाधान नहीं हुआ आज तक |
हमने बड़े आदमी को काफी बड़ा बना कर रखा हुआ है | हमारे मन में यह विचार कभी आता ही नहीं की वो भी एक सामान्य आदमी है और उसका जीवन भी उन्ही सामान्य क्रियाओं से संचालित होता है जिस से की आपका और हमारा |हम ऐसा क्यों समझते हैं की फलां व्यक्ति डॉक्टर है तो बीमार नहीं पड़ सकता ,पुलिस का बड़ा अधिकारी है तो चोर नहीं हो सकता ,मंत्री है तो भ्रष्ट नहीं हो सकता | बड़ा होना क्या आदमी होने से नकारने  जैसा है? क्या नारायण दत्त तिवारी आदमी नहीं है? वैसे ही देवेगौडा भी तो आखिर एक इंसान ही है |क्या उसे गुस्सा नहीं आ सकता ? और अगर उसने एक आम आदमी की तरह गुस्से में गाली दे भी दी तो  इतना बवाल क्यों .........




( सभ्य असभ्य का भेद मत समझाइये, ये चर्चा बड़े और आम आदमी की चर्चा है | यह कतई जरूरी नहीं की जो बड़ा है वो सभ्य ही होगा )

Thursday, January 7, 2010

ये तो सरासर ................है !



शीर्षक में जो खाली स्थान है उसे आप अपनी मर्जी से जैसा चांहे वैसा भरले |

आज दोपहर को शासन की तरफ से एक पत्र आया |PNDT CELL (प्रसव पूर्व गर्भ निर्धारण एवं निदान अधिनियम ) जिसका की अध्यक्ष जिले का कलेक्टर और सचिव  मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी होता है उनकी तरफ से यह पत्र आया था |पत्र में यह फरमान था की जितने भी चिकित्सक सोनोग्राफी के लिए पंजीकृत हैं उन्हें एक पोस्टर अपने अस्पताल में किसी प्रमुख स्थान पर लगाना आवश्यक है | हम सभी सोनोग्राफर इस अधिनियम से बंधे हुए हैं और इसके दिशा निर्देशों का अक्षरश पालन करते हीं हैं | इस नए आदेश को न मानने का सवाल ही नहीं उठता था | किन्तु पोस्टर देखने के बाद मन क्षोभ एवं गुस्से से भर गया | क्या शासन एवं उसके कारिंदे इतने संवेदनहीन हो गए हैं या जान बूझ कर ऐसा कर रहे हैं ?  " मशीन खरीदी है तो खर्च निकालना ही होगा "  ये पढने के बाद हंसू की रोऊ समझ नहीं पा रहा था | पहले विचार आया था की इस बारे में जिलाधीश के समक्ष अपनी आपत्ति प्रस्तुत करना चाहिए  | फिर ख्याल आया की जिसने अपराध किया उसीको जज कैसे बनाऊं ? जिलाधीश द्वारा भेजे गए इस पोस्टर को देख कर मै तो किंकर्तव्यमूढ़ रह गया |

Wednesday, January 6, 2010

रिश्ते

रिश्ते सिरहाने की तरह होते हैं | जब आप थक जातें हैं तो उनके सहारे सो जातें हैं |उदास होतें हैं तो उन पर सर रखकर आंसू बहा देते हैं |खुश होने पर गले लगाकर झूम सकतें हैं | वैसे सपनो में तो वे आपके साथ ही होतें हैं |


ये मेरा नहीं है | कंही से बस यूंही मिल गया |

Friday, January 1, 2010

हकीकत

वर्ष बदलने से अब हर्ष नहीं होता
उत्साह उमंग का स्पर्श नहीं होता |
चाह थी कभी दुनिया बदलने की
पर मुझसे अब संघर्ष नहीं होता ||
 
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