इन्टरनेट पर "Stumble upon" के नाम की एक सेवा उपलब्ध है |इसमें विषय के हिसाब से नेट पर उपलब्ध विषय वस्तु को देखा जा सकता है |फुर्सतियो का काम है |एक मजेदार चीज पढने को मिली ,उसका हिंदी रूपांतरण प्रस्तुत कर रहा हूँ |इस रचना का श्रेय जेफरी .जे .मेक गवर्न को |
क्या गणित की शिक्षा का स्तर इस से भी नीचे गिर सकता है ?
गणित का अध्यापन १९५० में -------
एक लकडहारे ने एक गाड़ी लकड़ी १०० रुपये में बेचीं |उसका उतपादन खर्च बेचीं गई कीमत का ४/५ था | उसे कितना मुनाफा हुआ ?
गणित का अध्यापन १९६० में -----
एक लकडहारे ने एक गाड़ी लकड़ी १०० रुपये में बेचीं |उसका उतपादन खर्च बेचीं गई कीमत का ४/५ था या ८० रुपये |उसे कितना मुनाफा हुआ ?
गणित का अध्यापन १९७० में --------
एक लकडहारे ने एक गाड़ी लकड़ी १०० रुपये में बेचीं | उसका उत्पादन खर्च ८० रुपये था | क्या उसे मुनाफा हुआ ?
गणित का अध्यापन १९८० में -------
एक लकडहारे ने एक गाड़ी लकड़ी १०० रुपये में बेचीं | उसका उत्पादन खर्च ८० रुपये था और उसका मुनाफा था २० रुपये | आपको क्या करना है ---- मुनाफे के आकडे को अंडरला इन करना है |
गणित का अध्यापन १९९० में ------
एक लकडहारे ने एक गाडी लकड़ी के लिए कई पेड़ काट डाले | वह स्वार्थी है ,उसे दुनिया की परवाह नहीं है और पर्यावरण के बारे में उदासीन है |और यह सब वो २० रुपये मुनाफा कमाने के लिए कर रहा है |आप उसके इस तरह पैसे कमाने के बारे में क्या सोचते हैं ?इस प्रश्न का उत्तर देने के बाद कक्षा को एक छोटा लेख लिखना है | विषय है ---पक्षियों और गिलहरी को कैसा लगा होगा जब लकडहारा पेड़ काट रहा था ?(सभी उत्तर सही होंगे )
नतीजा २००५ में ------
पिछले हप्ते एक दुकान में मैंने एक चाकलेट ३ रुपये ७५ पैसे में खरीदी . काउंटर पर खड़ी लड़की को मैंने ५ रुपये का नोट दिया और चिल्लर ढूंड कर ७५ पैसे और दिए |वह मेरे द्वारा दिए गए नोट और चिल्लर को देखती रही और कुछ सोचती रही |मै उसकी दिक्कत समझ कर उस से बोला की तुम मुझे २ रुपये वापस कर दो |पर उस को यह बात समझ नहीं आई और उसने अपने मालिक को बुलाया |जब मालिक ने उसे गुणा भाग समझाने की कोशिश की तो वो रोने लगी ----------------------------!!!!!
Monday, December 21, 2009
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2 comments:
यह दुख की बात है लेकिन इसका जवाब शायद हां में ही है :-(
कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है। आप चाहें तो इसकी जगह कमेंट मॉडरेशन का विकल्प ले लें।
उन्मुक्त जी आपका सुझाव जमा और उसे कार्यान्वित भी कर दिया |
धन्यवाद्
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