राधा रमणजी का परिवार उन्हें लेकर कल अस्पताल आया था .दोनों बेटे और बहुए और साथ में राधा रमणजी की पत्नी .पूरा कुनबा ही साथ में था . कई दिनों से बीमार चल रहे थे और गाँव में छोटे मोटे डाक्टरों को दिखाने से भी कोई लाभ नहीं हो रहा था. सभी व्यक्ति काफी चिंतित दिखाई दे रहे थे. साल भर पहले एक बार मैंने उन्हें देखा था ,उसके हिसाब से मुझे भी वे थोड़े बीमारू दिखे . बड़े बेटे ने विस्तार से उनकी बीमारी का हाल बताया. पिछले दो तीन महीनो से स्वास्थ ठीक नहीं चल रहा था .बाबूजी कुछ सुस्त से रहने लगे थे और खान पान की तरफ भी ध्यान नहीं रखते थे .भूख तो उन्हें लगती थी पर धीरे धीरे उनका भोजन कम हो रहा था . खाते वक्त कभी कभी ठसका भी लग जाता था .कभी किसी कौर को पानी का सहारा लेकर निगलना पड़ता था . वजन भी कम हो रहा था .हल्का बुखार भी रहता था .गाँव में डॉक्टर ने जांच कर के बताया था की थोडा मलेरिया का असर है .१०० -१०० रुपये वाले तीन इंजेक्शन भी लगाए थे पर कोई फायदा नहीं हुआ. फिर मोतीझरा भी हो गया पर उसके इलाज से भी कोई फायदा समझ नहीं आ रहा . हम सब परेशान है इसलिए अब आप के पास बाबूजी को लायें हैं .
मैंने राधा रमणजी की जांच की ,सब कुछ सामान्य ही था पर उनके लड़के द्वारा बताई बातों से अन्न नलिका की बीमारी का शक तो था ही मैंने उन्हें एंडोस्कोपी करने की सलाह दी और रिपोर्ट के साथ पुनः आने को कहा .
दो घंटे बाद पूरा परिवार फिर से मेरे कमरे में रिपोर्ट के साथ हाजिर हो गया. जैसा की मुझे शंका थी वैसा ही निकला . उन्हें अन्न नलिका में एक गठान थी और उसके कैंसर होने की संभावना शत प्रतिशत थी .एंडोस्कोपी करने वाले डॉक्टर ने उन्हें कुछ जानकारी नहीं दी थी .रिपोर्ट के साथ यह कह कर मेरे पास भेज दिया की मै उन्हें सब समझा दूंगा.किसी भी डॉक्टर के लिए इस तरह की जानकारी किसी भी मरीज को देना थोडा कठीन ही होता है.मेरे सामने भी वही दुविधा थी .मैंने घुमा फिरा कर बुरी खबर को हलका करने की कोशिश करते हुए १५-२० मिनट लगा दिए मुद्दे की बात करने. और फिर बोल ही दिया की बाबूजी को अन्न नली का कैंसर हो गया है और इसके लिए अब उन्हें नागपुर या जबलपुर जा कर आगे की जांच और इलाज के बारे में सोचना होगा . मै अभी और विस्तृत चर्चा करने ही वाला था की तभी छोटे बेटे ने बीच में ही टोंक कर पुछा -------- डॉक्टर साहब और तो कोई सिरिअस बात नहीं है ना?
Saturday, December 12, 2009
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