आज टाइम्स नाउ पर अरुन जेटली और अभिशेक मनु सिन्घवी कि बहस सुन रहा था.विषय था "मधु कोडा". सुन कर ऐसा लगा कि ये दोनो मिलकर जनता को कोडे मार रहें हैं।दोनो वकील हैं और कहने को समझदार भी माने जाते हैं। क्या ये दोनो महानुभाव जनता को निपट गंवार समझतें हैं? बहस का अंदाज भी नही बदलता है और इस बहस को सुनते हुए मुझे ऐसा लगा कि बरसों से हम इसे ही देखतें आ रहे हैं।
नतीजा वही ढाक के तीन पात.मधु कोडा पैदा होते रहेगें और हमारे मुह पर तमाचा मारते रहेगें।
Tuesday, November 17, 2009
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