Thursday, September 24, 2009

हर चीज सम्हाल के रखने लायक नही होती !

पिछले तीन चार दिनों से मै सोच रहा हूँ और ढूंढ़ रहां हूँ ।जब छोटा था तब फोटो खींचना खिचाना आम नही था ,केमेरा और फ़िल्म दोनों ही मंहगे होते थे और हमारे जैसों की पहुँच के बाहर थे।फिर भी माँ बाप ने अपनी हैसियत से ऊपर उठकर हमरे बचपन के कई फोटो खिंचाये और संजोये जब से ये ससुरा डिजीटल केमेरा आया है तो लोग बाग बेमतलब दना दन फोट खीचने की मेराथान दौड़ रहे हैं अब मेरी उम्र छप्पन हो गई तो बनता है की मेरे भी कम अज कम हज़ार दो हज़ार फोटो तो होंगे हीं।सब का हिसाब भी तो नही है मेरे पास। कौन सा है और कौन सा गुम गया है कैसे पता चलेगा?

परसों रात को माँ के पास से उनकी आलमारी में रखे एल्बम मांग लाया और उन्हें देखते देखते बचपन में खो गया कल पत्नी से उसकी आलमारी के एल्बम लिए और लगा की फिर से शादी कर ली ।| बचपन और शादी के बीच का समय कोरा ही थादो चार फोटो माँ के एल्बम में और दस बारह पत्नी वाले एल्बम में थे पिछले पन्द्रह बीस सालों के फोटो तो कई थे पर किसी को भी देख कर मन आशंकित नही हुआ सब कुछ ठीक ठाक होते हुए भी जाने क्यूँ मन घबराया सा था

आज अल सुबह ध्यान लगा कर बैठ गया और अपनी पूरी जिंदगी को फास्ट फॉरवर्ड करके देखा बचपन की कुछ नंगी तस्वीरे थी (हमारे समय में बचपन में बच्चे ज्यादा करके नंगे ही रहते थे) हॉस्टल में थे तो अंडरवियर में या कभी कभी नंगे भी घूमते थे पर अच्छी तरह से याद है की वैसी हालत में फोटो नही खिचवाई .जिस से प्रेम की पींगे बढाई उसी से शादी भी कर ली इसलिए किसी किस्म के लफडे भी नही थे और उनकी तस्वीरें अब बुढापा सर पे खड़ा है तो क्या खाक तस्वीर खिचेगी फिर भी जबसे अनुष्का शंकर की ख़बर पढ़ी दिल कुछ ज्यादा ही धड़क रहा है मैंने भी अपना डेस्कटॉप और लेपटोप दुबारा देखा , अपनी जीमेल की बढती हुई डिस्क स्पेस देखी, पिकासा एवं फ्लिकर पर अपलोड किए हुए एल्बम देखें सब एकदम ठीक ठाक

फिर मेरे दिमाग की बत्ती जली मैं एक साधारण इंसान और वो एक सेलेब्रिटी।जैसे बिना बेईमानी किए कोई भी व्यापार में इफरात पैसे नही कमा सकता वैसे ही साधारण से असाधारण बनने के लिए भी हट के करना पड़ता है। ये बात अलग है की अपनी ऐसी किसी हरकत को सहेज कर रखने की मूर्खता सिर्फ़ अनुष्का शंकर ही कर सकती है

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