Sunday, September 13, 2009

दोस्ती पर कटाक्ष दोस्ताना अंदाज़ में

हमें भी दोस्तों से काम आ पड़ा यानि
हमारे दोस्तों के बेवफा होने का वक्त आया। हरी चन्द अख्तर

दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए । राह इन्दोरी

अपनों ने नज़र फेरी तो दिल ने तो दिया साथ
दुनिया में कोई दोस्त मेरे काम तो आया । शकील बदायुनी

वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम
दगा करे वो किसी से तो शर्म आए मुझें । कतिल शिफाई

मेरी खुशी से मेरे दोस्तों को गम है "शमीम "
मुझे भी इसका बहुत गम है क्या किया जाए । शमीम जैपुरी

मैं मुद्दतो जिया हूँ किसी दोस्त के बगैर
अब तुम भी साथ छोड़ने को कह रहे हो , खैर । फिराक गोरखपुरी

हटाये थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मेरे घर आने लगे हैं । कुमार बाराबंकवी

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