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Saturday, November 21, 2009

दुखवा मै कासे कहूं ..........

अभी कुछ दिन पहले शाम की ओ .पी .डी. में एक मरीज देखा  | उसका लड़का उसे जबरदस्ती करके अस्पताल लाया था |लड़के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक उसके पिताजी को २-३ दिनों से छाती में दर्द हो रहा था और चक्कर भी आरहे थे |वो अपनी सेहत का जरा भी ख्याल नहीं रखते थे और जब भी डाक्टर को दिखाने की बात होती थी तो गुस्सा करते थे |पेशे से पटवारी थे और खाने पीने के भी शौक़ीन थे |रोज़ शराब और कबाब और ऊपर से दिन भर में एक कट्टा बीडी |लड़का बड़ी उलझन में दिख रहा था , एक तरफ अपने पिता को कोसता भी जा रहा था और दूसरी तरफ उनके स्वास्थ के बारे में चिंतित भी था |
मैंने लडके को शांत करते हुए उसके पिताजी का परीक्षण शुरू किया |सर सरी तौर पर ही  समझ में आ रहा था की वो काफी परेशानी में है | दमे के मरीज जैसी सांस चल रही थी ,नाडी भी तेज थी और ब्लड प्रेशर था २४०/१२० |छाती में सूंसूं की आवाज आ रही थी | कुल मिला कर मामला गड़बड़ ही दिखाई दे रहा था | लड़के की भांति मैंने भी एक जोरदार लेक्चर झाडा और प्राथमिक उपचार शुरू  कर दिया. कई प्रकार के परीक्षण करने की सलाह दी और भर्ती होने के लिए भी समझाया परन्तु वो किसी भी सूरत में भर्ती होने के लिए तैयार ही नहीं हुआ | उसका लड़का भी थोडा जिद्दी निकला और भर्ती के लिए न कर दी | मैंने भी कुछ दवाइयां लिख दी और जांच करवाने के लिए लम्बी लिस्ट बना कर दे दी |अगले दिन आकर सब रिपोर्ट्स दिखने की हिदायत भी कर दी |
रात भर मन में थोड़ी धुकधुकी तो थी ही पर क्या कर सकता था |
अगले दिन मै अपने रोजमर्रा के कामो में उलझ कर पटवारी जी के बारे मे भूल ही गया था की देखा वो और उसका लड़का रिपोर्ट्स का पुलिंदा लेकर सामने खड़े है |
आज पट वारीजी की रंगत कुछ अलग ही थी |मैंने दुबारा उनकी जांच की तो समझ में आया की उन्हें आज कोई परेशानी नहीं है और जांच में भी कोई खराबी नहीं है |
कल उनका ब्लड प्रेशर २४०/१२० था तो आज १३०/८० ,नाडी भी ठीक और सांस भी ठीक |उनकी रिपोर्ट्स देखी तो विस्मित रह गया , सिवा त्रिग्लिसरैड्स के बाकि सभी जांचे सामान्य थी | एक्स रे ,इ.सी जी ,और बाकी रक्त की जांचे भी पूर्णतया सामान्य थी | लड़का तो प्रसन्न था पर पटवारी ने जाते जाते  कह ही दिया ..... क्या डाक्टर साहब फालतू में डराते हो !

ऐसा मेरे साथ कई बार होता है | मधुमेह का रोगी कई दिनों बाद दिखाने आता है और जब यह पता लगता है की वो न दवाई ठीक से खा रहा है न ठीक से परहेज कर रहा है तो स्वाभाविक रूप से पहले तो उसको खूब डांटता हूँ फिर टेस्ट करवाने के लिए भेजता हूँ | उसकी  Hb1Ac की रिपोर्ट भी नॉर्मल आती है |थोड़ी देरके लिए तो रोगी से आँख मिलाने की हिम्मत नहीं होती | जिस रोगी को डांट के भगा दिया था यह कह कर की सोनोग्राफी की कोई आवश्यकता नहीं है वह गुर्दे में पथरी की रिपोर्ट के साथ सामने खड़ा हो जाता है. | बीडी ,तमाखू न छोड़ने पर रक्तचाप के मरीज पर चिल्लाओ तो पता लगा उसका ब्लड प्रेशर भी सामान्य निकलता है | ऐसे झूठे पड़ने पर बड़ी कोफ़्त होती है पर इस से बचने की कोई विधि भी समझ में नहीं आती !

प्रकृति  ने हमें दो कान और दो आंखे दी है पर सिर्फ एक मुह दिया है --------उद्दयेश यह है की हम ज्यादा सुने और देखें पर  कम बोलें|
किन्तु बिना संवाद के सफल चकित्सक तो केवल  एक पशु चिकित्सक ही हो सकता है |


 
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