All government servants and politicians should be considered corrupt unless proved otherwise.
Those who are not corrupt initially will become so in due course.
Those who refuse to get corrupted will be kicked out.
Another fundu law is
बनाने वाले से काडी करने वाला बड़ा होता है.
Sunday, August 30, 2009
Saturday, August 29, 2009
http://www.ziddu.com/download/6254166/AvdhootaGaganGhata-KABIR-NIRGUNKEGUN.mp3.html
this is kumar gandharva and kabir, a heady combination.
this is kumar gandharva and kabir, a heady combination.
Wednesday, August 26, 2009
yesterdays unfinished work
more from fazal tabish
न कर शुमार के हर शै गिनी नही जाती
ये जिंदगी है हिसाबो से जी नही जाती
चारो और खड़े है दुश्मन, बीचों बीच अकेला मैं
जबसे मुजको खुशफहमी है, सब घटिया हैं बढ़िया मैं।
some couplets from taj bhopali
मैं चाहता हूँ निजाम ऐ कुहन बदल डालूं
मगर ये बात फकत मेरे बस की बात नही
उठो बढो मेरी दुनिया के आम इंसानो
ये सब की बात है दो चार दस की बात नही.
नुमाइश के लिए जो मर रहे हैं
वोह घर के आइनों से डर रहे
बला से जुगनुओ का नाम दे दो
कम से कम रौशनी तो कर रहे हैं.
तुम्हे कुछ भी नही मालूम लोगो
फरिश्तो की तरह मासूम लोगो
जमी पर पाव आंखे असमान पर
रहोगे उम्रभर मगमूम लोगो
अगर तेषा नही पथ्थर उठा लो
रहोगे कब तलक मजलूम लोगो
निर्वाण घर में बैठ कर होता नही कभी
बुद्ध की तरह कोई मुझे घर से निकाल दे
पीछें बंधे हैं हाथ मगर शर्त है सफर
किस से कहे की पाँव के कांटे निकाल दे.
lastly few gems from ijlal majid.
सोचते हो की ये नही होगा
आसमा एक दिन जमीं होगा
कोई मरने से मर नही जाता
देखना वोह यहीं कहीं होगा.
दरिया चढा तो पानी नशेबो में भर गया
अब के भी बारिशो में हमारा ही घर गया.
न कर शुमार के हर शै गिनी नही जाती
ये जिंदगी है हिसाबो से जी नही जाती
चारो और खड़े है दुश्मन, बीचों बीच अकेला मैं
जबसे मुजको खुशफहमी है, सब घटिया हैं बढ़िया मैं।
some couplets from taj bhopali
मैं चाहता हूँ निजाम ऐ कुहन बदल डालूं
मगर ये बात फकत मेरे बस की बात नही
उठो बढो मेरी दुनिया के आम इंसानो
ये सब की बात है दो चार दस की बात नही.
नुमाइश के लिए जो मर रहे हैं
वोह घर के आइनों से डर रहे
बला से जुगनुओ का नाम दे दो
कम से कम रौशनी तो कर रहे हैं.
तुम्हे कुछ भी नही मालूम लोगो
फरिश्तो की तरह मासूम लोगो
जमी पर पाव आंखे असमान पर
रहोगे उम्रभर मगमूम लोगो
अगर तेषा नही पथ्थर उठा लो
रहोगे कब तलक मजलूम लोगो
निर्वाण घर में बैठ कर होता नही कभी
बुद्ध की तरह कोई मुझे घर से निकाल दे
पीछें बंधे हैं हाथ मगर शर्त है सफर
किस से कहे की पाँव के कांटे निकाल दे.
lastly few gems from ijlal majid.
सोचते हो की ये नही होगा
आसमा एक दिन जमीं होगा
कोई मरने से मर नही जाता
देखना वोह यहीं कहीं होगा.
दरिया चढा तो पानी नशेबो में भर गया
अब के भी बारिशो में हमारा ही घर गया.
फज़ल ताबिश के चंद शेर
रेशा रेशा उधेड़कर देखो / रौशनी किस जगह से काली है \
मचलते पानी में ऊंचाई की तलाश फजूल /पहाड़ पर तो कोई भी नदी नही जाती \
मचलते पानी में ऊंचाई की तलाश फजूल /पहाड़ पर तो कोई भी नदी नही जाती \
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